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Entrepreneurship Practical Exam Answer

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Q.1. अपने पड़ोस की बाजार संरचना पर रिपोर्ट का अध्ययन करें।
Ans:- पड़ोस की बाजार संरचना अल्पाधिकार में से एक है। इसका मतलब यह है कि बाजार में कुछ ही प्रमुख खिलाड़ी हैं और बेची जा रही वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर उनका बहुत अधिक नियंत्रण है। तीन मुख्य सुपरमार्केट, दो बड़े किराना स्टोर और कई छोटे सुविधा स्टोर हैं। सुपरमार्केट क्षेत्र अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है, प्रत्येक स्टोर ग्राहकों के लिए सबसे कम कीमतों की पेशकश करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, किराना स्टोर, अपने बड़े आकार और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के कारण मूल्य स्थिरता की एक निश्चित डिग्री रखते हैं। इनके अलावा, कुछ विशिष्ट स्टोर भी हैं जो उन आला बाजारों से फलने-फूलने में सक्षम हैं जिन्हें वे पूरा करते हैं। कुल मिलाकर, पड़ोस की बाजार संरचना कुलीनतंत्र में से एक है, बाजार में कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के पास कीमतों और बाजार को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों पर काफी हद तक नियंत्रण है। इस संरचना के कारण पेशकश की जाने वाली अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिए कीमतें अधिक हो गई हैं, जिससे पड़ोस में रहने की लागत अधिक हो गई है।
किसी भी कार्य को करने से पहले एक परियोजना (Project) बनाया जाता हैं। जिसमें कार्य को किस भातिं से,कब,कहां और कैसे करना हैं। वह सभी बातें स्पष्ट रुप से लिखी होती हैं। एक सफल परियोजना के निर्माण में कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता हैं। बिना परियोजना निर्माण के कोई कार्य अच्छे से सम्पन्न हो ही नहीं सकता हैं।

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Q.2. परियोजना निर्माण के विभिन्न चरण
किसी भी परियोजना की शुरुआत करने से पहले उस पर भली – भाँति विचार विमर्श कर लेना चाहिए और उसके बाद ही आगे की कार्यवाही करनी चाहिए। बिना जाँच विचारे किसी कार्य को करना घातक सिद्ध हो सकता हैं। इस प्रकार से परियोजना निर्माण में मुख्य रूप से 6 चरण या अवस्थाएं होती हैं। जो कि नीचे इस प्रकार से दी गई हैं –

1. परियोजना की पहचान करना (Project Identification)
2. परियोजना निरुपण की चरण (Project Formulation)
3. परियोजना का मूल्यांकन (Project Appraisal)
4. परियोजना का चयन (Selection of Project)
5. परियोजना का क्रियान्वयन (Project Implementation)
6. परियोजना समारम्भ की अवस्था (Project Commencing)

1. परियोजना की पहचान करना (Project Identification) – परियोजना की पहचान करना किसी भी व्यक्ति या साहसी के लिए अहम् निणर्य होता हैं। परियोजना की पहचान करने के लिए बुद्धि, विवेक की आवश्यकता होती हैं। इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं बनाया गया है। अधिकतर साहसी एक लाभदायक परियोजना कज पहचान के लिए अपने अनुभव तथा दिमाग का इस्तेमाल करते हैं। यदि कोई व्यक्ति एक दुसरे क्षेत्र के परिजना में सफल हो जाता हैं तो यह जरूरी नहीं हैं कि दूसरा व्यक्ति या साहसी भी सफल हों। गलत परियोजना के पहचान हो जाने पर उधमी या साहसी को भारी मात्रा में नुकसान भी उठाना पड़ सकता हैं।

विशेष रुप में परियोजना पहचान का अर्थ
पीटर, एफ. ड्रकर के अनुसार – परियोजना पहचान विनियोजन के संभावित अवसरों को ज्ञात करने के उद्देश्य से किया गया आर्थिक आंकड़ों का संग्रह, संकलन एवं विशेषण प्रबंध से है। इन्होंने विनियोजन को 3 अवसरों में बांटा है । जो कि इस प्रकार से दिए गए हैं –
A.योगज अवसर
B.पूरक अवसर
C.भंग अवसर

A.योगज अवसर – यह अवसर निर्णय लेने वाले को मौजूद संसाधनों का, व्यवसाय के चरित्र को बिना प्रभावित किए प्रभावी, उपयोग करने में सहायता प्रदान करते हैं ।

B.पूरक अवसर – पूरक अवसरों से आश्य नवीन विचारों के लागू करने से होता है। जिनके कारण मौजूद संरचना में परिवर्तन आता है।

C.भंग अवसर – भांग अवसरों में व्यवसाय के चरित्र एवं संरचना में मूलभूत परिवर्तन शामिल होते हैं ।इन तीनों के मदद से परियोजना का प्रवाह निरंतर चलते रहता है। योगज अवसरों में रिस्क का तत्व सबसे कम होता है । इसका कारण यह है कि योगज अवसरों में व्यवसाय की मौजूद दशा में सबसे कम बाधाएं उत्पन्न होती है। फिर भी यदि जोखिम ( Risk)का तत्व अधिक हो जाए तो परियोजना विचार के क्षेत्र एवं प्रकृति की पुनः व्याख्या की जानी चाहिए और परियोजना के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक समाधान विकसित किए जाने चाहिए।

Q.4. उद्यमिता एवं प्रबंधन के बीच के सम्बन्ध को बतायें।
उद्यमिता (entrepreneurship) नये संगठन आरम्भ करने की भावना को कहते हैं। किसी वर्तमान या भावी अवसर का पूर्वदर्शन करके मुख्यतः कोई व्यावसायिक संगठन प्रारम्भ करना उद्यमिता का मुख्य पहलू है। उद्यमिता में एक तरफ भरपूर लाभ कमाने की सम्भावना होती है तो दूसरी तरफ जोखिम,अनिश्चितता और अन्य खतरे की भी प्रबल संभावना होता है।

एमिल जेलिनेक मर्सीडीज (1853–1918) यूरोप के उद्यमी थे जिन्होने आधुनिक कार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इस चित्र में अपनी गाड़ी के स्टीयरिंग-चक्र को थामे हुए

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