Bihar Board 11th History 29 November Answer Key: 11th History Objective Subjective 2024 11th History 2nd Terminal Exam Education Success
Bihar Board 11th History 29 November Answer Key:
बिहार बोर्ड (Bihar Board) के द्वारा कक्षा 11वीं की द्वितीय सर्वाधिक परीक्षा (11th Monthly Exam November) की शुरुआत 23 नम्बर 2024 से लेकर 30 नम्बर 2024 तक द्वितीय सर्वाधिक परीक्षा चलने वाली है, इस लेख में विस्तार पूर्वक Bihar Board Class 11th History 2nd Terminal Exam Answer key 2024 के बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं और साथी 100% Correct Answer Key और वायरल प्रश्न यह दोनों इस लेख में मिलने वाला है, 11th History November की द्वितीय सर्वाधिक परीक्षा दिनांक 27.11.2024 के दिन होने वाली है | Class 11th History Terminal Exam 1st Sitting में होने वाली है …पूरा लेख पढ़ें…
Bihar Board 11th History 29 November Exam 2024 : Overview
Name of the Board | Bihar School Examination Board, Patna |
Name of the Article | Bihar Board 11th Terminal Exam |
Article Type | 11th History Answer Key |
11th Annual Exam Start Date 2024 | 23.11. 2024 |
11th Annual Last Exam Date 2024 | 30.11.2024 |
Session | 202-26 |
Bihar Board Official Website | Click Here |
Bihar Board Class 11th History November Answer key 2024: सर्वाधिक परीक्षा वायरल प्रश्न और आंसर key कैसे डाउनलोड करें –
यदि आप भी 27 नम्बर 2024 के दिन Class 11th History November monthly exam की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले हैं और वायरल प्रश्न और साथ ही Answer key कैसे देखना है व डाउनलोड करना है यह पूरी जानकारी आगे मिलने वाली है, History November monthly exam answer key download करने का लिंक नीचे दिया गया है और साथी 30 Objective प्रश्न में 25 वस्तुनिष्ठ प्रश्न का जवाब देना है | History November objective Answer key देखने का लिंक नीचे दिया गया है और सब्जेक्टिव प्रश्न डाउनलोड करने का भी लिंक नीचे दिया गया है |
नोट या प्रश्न पत्र और उत्तर कक्षा 11वीं की मासिक परीक्षा का Answer Key
Bihar board 11th Psychology objective Answer key 29 November2024 :-
Q.N. | ANS | Q.N. | ANS |
1. | D | 16. | A |
2. | A | 17. | B |
3. | B | 18. | C |
4. | A | 19. | B |
5. | D | 20. | A |
6. | C | 21. | C |
7. | B | 22. | A |
8. | C | 23. | A |
9. | A | 24. | A |
10. | A | 25. | A |
11. | C | 26. | C |
12. | C | 27. | A |
13. | C | 28. | A |
14. | D | 29. | A |
15. | D | 30. | B |
11th Second Terminal Examination November 2024 History Subjective Question Download Link –
नीचे दिए गए लिंक से आप सब्जेक्टिव प्रश्न का उत्तर पीडीएफ़ फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते है ।
नोट- यह प्रश्नपत्र और उत्तर 11th के कक्षा 11वीं नवंबर द्वितीय टर्मिनल परीक्षा नवंबर 2024 का है । History Question Paper
खण्ड – व / SECTION – B
लघु उत्तरीय प्रश्न / Short Answer Type Questions
प्रश्न संख्या 1 से 10 तक लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक के लिए 2 अंक निर्धारित है।
1. चार्ल्स डार्विन कौन थे ? उनकी पुस्तक का नाम क्या है ?
उत्तर- चार्ल्स डार्विन महान् प्रकृतिवादी वैज्ञानिक तथा बहुफलदायक लेखक भी थे। इन्हें प्रजातियों के विकास की नयी अवधारणाओं के जनक के रूप में जाना जाता है। चार्ल्स डार्विन आधुनिक विज्ञान के भी जनक हैं। चार्ल्स डार्विन (1809-1882) एक अंग्रेजी प्रकृतिवादी थे, जिनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक, ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़ (1859) आधुनिक विचारों पर आधारित है कि कैसे पृथ्वी पर जीवन विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में विकसित हुआ जो आज हमारे पास हैं।
2. कार्बन-14 पद्धति क्या है ?
उत्तर- कार्बन डेटिंग कार्बनिक पदार्थों की आयु का पता करने के लिये व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि हैं। सजीवों में विभिन्न रूपों में कार्बन होता है। डेटिंग पद्धति इस तथ्य पर आधारित है कि कार्बन-14 (C-14) रेडियोधर्मी है और उचित दर पर इसका क्षय होता है। C-14 कार्बन का समस्थानिक है जिसका परमाणु द्रव्यमान 14 है।
3. रोम के व्यापार की दो विशेषताएँ लिखें ।
उत्तर- प्राचीन रोम के मुख्य व्यापारिक साझेदार स्पेन, फ्रांस, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका थे। चूँकि खेती रोमन अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा थी, इसलिए निर्यात में से अधिकांश खाद्य पदार्थ या फसलों से बने उत्पाद थे । अंगूर, तेल और अनाज कुछ प्रमुख निर्यात थे। क्षेत्रीय, अंतर-क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार रोमन दुनिया की एक आम विशेषता थी। राज्य नियंत्रण और मुक्त बाजार दृष्टिकोण के मिश्रण ने यह सुनिश्चित किया कि एक स्थान पर उत्पादित वस्तुओं को दूर-दूर तक निर्यात किया जा सके।
4. मंगोलों के लिए व्यापार क्यों महत्वपूर्ण था ?
उत्तर- स्टेपी क्षेत्रों में संसाधनों की कमी के कारण मंगोलों और मध्य-एशियाई यायावरों को व्यापार और वस्तु-विनिमय के लिए उनके पड़ोसी चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीलेवासी खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फ़र व स्टेपी में पकड़े गए शिकार का विनिमय करते थे। उन्हें वाणिज्यिक क्रियाकलापों में काफी तनाव का सामना करना पड़ता था। इसका कारण यह था कि दोनों पक्ष अधिकाधिक लाभ कमाना चाहते थे। जलवायु के अत्यधिक ठंडा या गरम होने के कारण स्टेपी प्रदेशों में खेती करना केवल कुछ ही ऋतुओं में संभव था, परंतु मंगोलों ने सुदूर पश्चिम के तुर्की के विपरीत कृषि कार्य नहीं किया। इसलिए खाद्य उत्पादों तथा लोहे के उपकरणों के लिए उन्हें चीन जाना पड़ता था। इस प्रकार एक पशुपालक और आखेटक । समाज का जीन व्यापार के अभाव में असंभव था।
5. यास क्या था ? इसके दो महत्वों को लिखें ।
उत्तर- यास’ को चंगेज खान की विधिसंहिता कहा जाता है। इस बात की पूरी सम्भावना है कि ‘यास मंगोल जाति की ही प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था। यास मंगोलों को समान आस्था रखने के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ। यास ने मंगोलों को आत्मविश्वास प्रदान किया। निश्चित रूप से यास एक शक्तिशाली सिद्धान्त था जिसने मंगोल साम्राज्य की संरचना में अहम् भूमिका निभाई थी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions
प्रश्न संख्या 11 से 15 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 3 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक के लिए 5 अंक निर्धारित है । 3 x 5 = 15
11. मेसोपोटामिया में लेखन कला के विकास पर प्रकाश डालें ।
उत्तर-मेसोपोटामिया में जो लिखी हुई पट्टिकाएँ खुदाई में प्राप्त हुई हैं, वे लगभग 3200 ई० पू० की हैं। उनमें चित्र जैसे चिह्न और संख्याएँ दी गई हैं। वहाँ बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग पाँच हजार सूचियाँ प्राप्त हुईं, जो वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहाँ से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी। स्पष्टतः लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की आवश्यकता पड़ी क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे। उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था। मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और फिर उसे गूंधकर और थापकर एक ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ में पकड़ सके। वह सावधानीपूर्वक उसकी सतह को चिकना बना लेता था फिर सरकण्डे की तीली की तीखी नोक से वह उसकी नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न बना देता था। जब ये पट्टिकाएँ धूप में सूख जाती थीं तो पक्की हो जाती थीं और वे मिट्टी के बर्तनों जैसी मजबूत हो जाती थीं ।
12. रोमन साम्राज्य के पतन के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर- रोम को शाश्वत शहर के रूप में जाना जाता था; हालाँकि, वैश्विक साम्राज्य के केंद्र के रूप में शहर की स्थिति शाश्वत थी। साम्राज्य के पतन के तीन प्रमुख कारण थे:
- आंतरिक भ्रष्टाचार
- साम्राज्य का विभाजन
- जर्मनिक जनजातियों द्वारा लगातार आक्रमण
आंतरिक भ्रष्टाचार और रोम का पतन- साम्राज्य के अंत में रोम में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या थी। भ्रष्टाचार और खराब सरकार के कारण मुद्रास्फीति, भुखमरी, बीमारी और अत्यधिक कराधान होता है। रोमन साम्राज्य की पिछली कुछ शताब्दियों की अध्यक्षता रोम के इतिहास के कुछ सबसे भ्रष्ट और अयोग्य सम्राटों ने की थी। इनमें से एक इलागाबालस था, जिसने 212 ई. से 222 ई. तक शासन किया। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भी कई गृहयुद्ध हुए, जिनके कारण अलग-अलग थे। हालाँकि, कमज़ोर नेतृत्व एक प्रमुख कारण था।
13. कुबलई खान की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें ।
उत्तर-चंगेज खान के पोते कुबलई खान मंगोल और चीनी इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उनकी उपलब्धियों का सारांश इस प्रकार दिया जा सकता है:
सांस्कृतिक आदान-प्रदान और एकीकरण : कुबलई खान ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान की नीति को बढ़ावा दिया, पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार और बातचीत को प्रोत्साहित किया। उन्होंने मार्को पोलो जैसे विदेशी आगंतुकों का स्वागत किया, जिन्होंने उनके दरबार और युग के बारे में मूल्यवान जानकारी दी।
आर्थिक विकास : कुबलई के शासन में चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास हुआ। उन्होंने सड़कों और नहरों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार किया, जिससे व्यापार में सुविधा हुई। उन्होंने कर सुधार भी लागू किए जिससे राजस्व संग्रह में वृद्धि हुई।
युआन राजवंश की स्थापना : 1271 में कुबलई खान ने चीन में युआन राजवंश की स्थापना की, जो पहली बार था कि पूरे देश पर किसी विदेशी शक्ति का शासन था। यह राजवंश 1368 तक चला।
शक्ति का समेकन : कुबलाई ने मंगोल जनजातियों को सफलतापूर्वक एकीकृत किया और मंगोल साम्राज्य का चीन तक विस्तार किया, जिससे मंगोलों के महान खान के रूप में उनकी स्थिति सुरक्षित हो गई
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